मुझे समझकर ही मेरा अतिक्रमण संभव है मैं प्रकृति हूँ विकृति नहीं। मुझे समझकर ही मेरा अतिक्रमण संभव है मैं प्रकृति हूँ विकृति नहीं।
उसके लिए, जो हो उचित, वो करना पड़ता, जिससेे न आए, कोई कठिनाई। उसके लिए, जो हो उचित, वो करना पड़ता, जिससेे न आए, कोई कठिनाई।
जिस तरफ जाऊँ पाऊँ बस तुझको एक खुशबू सा चार सू हो जा जिस तरफ जाऊँ पाऊँ बस तुझको एक खुशबू सा चार सू हो जा
वो हमें याद करतें हैं इसे तुम प्यार मत समझोबात तो ये है कि उनकी उधारी बाकी है हमपे वो हमें याद करतें हैं इसे तुम प्यार मत समझोबात तो ये है कि उनकी उधारी बाकी है हम...
मैं जब नम सी निगाहों से देखता हूँ तुझेयार कुछ तो तेरा दिल भी पिघलता होगा मैं जब नम सी निगाहों से देखता हूँ तुझेयार कुछ तो तेरा दिल भी पिघलता होगा
वो मासूम सा चेहरा वो झुकी-झुकी सी पलकेंमेरा अरमान है उस शख्स को दिल में बसाने का वो मासूम सा चेहरा वो झुकी-झुकी सी पलकेंमेरा अरमान है उस शख्स को दिल में बसान...